परिचय

प्रुरिटस वुल्वे (Pruritis Vulvae) एक सामान्य समस्या है जिसमें महिलाओं को योनि क्षेत्र में खुजली, जलन और असहजता का अनुभव होता है। यह समस्या कई कारणों से हो सकती है, जैसे संक्रमण, एलर्जी, हार्मोनल असंतुलन या त्वचा रोग। आयुर्वेद में इसके लिए प्राकृतिक और सुरक्षित उपचार उपलब्ध हैं, जो समस्या को जड़ से ठीक करने में मदद करते हैं।

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प्रुरिटस वुल्वे के प्रमुख कारण

  1. यीस्ट इन्फेक्शन (Candidiasis) – फंगल संक्रमण के कारण खुजली और सफेद डिस्चार्ज हो सकता है।
  2. बैक्टीरियल वेजिनोसिस – हानिकारक बैक्टीरिया के असंतुलन से खुजली और दुर्गंधयुक्त डिस्चार्ज होता है।
  3. एलर्जिक रिएक्शन – साबुन, पैड, डिटर्जेंट या कंडोम के केमिकल्स से एलर्जी हो सकती है।
  4. हार्मोनल बदलाव – मेनोपॉज, प्रेग्नेंसी या पीरियड्स के दौरान हार्मोन्स के उतार-चढ़ाव से खुजली हो सकती है।
  5. त्वचा रोग – एक्जिमा, सोरायसिस या लाइकेन स्क्लेरोसस जैसी स्थितियाँ भी इसका कारण बन सकती हैं।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

आयुर्वेद के अनुसार, प्रुरिटस वुल्वे कफ और पित्त दोष के असंतुलन के कारण होता है। इसके लिए आयुर्वेद में जड़ी-बूटियों, आहार और जीवनशैली में बदलाव की सलाह दी जाती है।

1. आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ और उपचार

  • नीम – एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर नीम का पानी से योनि क्षेत्र को धोने से खुजली कम होती है।
  • हल्दी – दूध के साथ हल्दी का सेवन और हल्दी-चंदन का पेस्ट लगाने से सूजन व जलन में आराम मिलता है।
  • अशोक (Ashoka) – अशोक की छाल का काढ़ा पीने से योनि स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  • त्रिफला – त्रिफला चूर्ण का सेवन शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।
  • एलोवेरा जेल – शुद्ध एलोवेरा जेल लगाने से खुजली और जलन में तुरंत आराम मिलता है।

2. आहार और जीवनशैली में सुधार

  • पित्त शांत करने वाले आहार – खीरा, नारियल पानी, मौसमी फल और हरी सब्जियाँ खाएँ।
  • मसालेदार और तैलीय भोजन से परहेज – मिर्च, तला हुआ भोजन और अधिक नमक से बचें।
  • सूती अंडरवियर पहनें – सिंथेटिक कपड़ों की जगह सूती कपड़े पहनें ताकि हवा का संचार हो सके।
  • पर्याप्त पानी पिएँ – शरीर को हाइड्रेट रखने से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं।

निष्कर्ष

प्रुरिटस वुल्वे एक परेशान करने वाली समस्या है, लेकिन आयुर्वेदिक उपचार और सही देखभाल से इसे प्रभावी ढंग से ठीक किया जा सकता है। यदि समस्या गंभीर हो तो आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।